वनवासी बच्चों को माता पिता के रोजी रोटी कमाने के लिए अन्य जगह जाने पर जानवरों तथा छोटे बच्चों की देखभाल करने के लिए अथवा अन्य किसी कारणवश घर पर रहना पड़ता है। इस कारण वे विद्यालय नहीं जा पाते और शिक्षा के प्रकाश से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों के लिए कल्याण आश्रम द्वारा गांव-गांव में एकल विद्यालय चलाए जा रहे हैं। एकल विद्यालय बच्चों की सुविधानुसार किसी भी समय-प्रातः, सायं, मध्यान्ह 3 घंटे के लिए चलाए जाते हैं। किसी के घर के आंगन में, कहीं गांव के चबूतरे पर, कहीं मंदिर परिसर में तो कहीं किसी एक वृक्ष के नीचे एकल विद्यालय चलता है। तीन या चार सत्रों में बच्चों के लिए विविध प्रकार के ज्ञान व संस्कार की व्यवस्था की जाती है।
वनवासी बच्चों को माता पिता के रोजी रोटी कमाने के लिए अन्य जगह जाने पर जानवरों तथा छोटे बच्चों की देखभाल करने के लिए अथवा अन्य किसी कारणवश घर पर रहना पड़ता है। इस कारण वे विद्यालय नहीं जा पाते और शिक्षा के प्रकाश से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों के लिए कल्याण आश्रम द्वारा गांव-गांव में एकल विद्यालय चलाए जा रहे हैं। एकल विद्यालय बच्चों की सुविधानुसार किसी भी समय-प्रातः, सायं, मध्यान्ह 3 घंटे के लिए चलाए जाते हैं। किसी के घर के आंगन में, कहीं गांव के चबूतरे पर, कहीं मंदिर परिसर में तो कहीं किसी एक वृक्ष के नीचे एकल विद्यालय चलता है। तीन या चार सत्रों में बच्चों के लिए विविध प्रकार के ज्ञान व संस्कार की व्यवस्था की जाती है।
एकल विद्यालय में बच्चों को साक्षरता का ज्ञान क से ज्ञ तक, एवं 1 से 100 तक का अंकज्ञान करवाया जाता हैं।शिक्षा को सुगम बनाने हेतु प्रकाशित चार्ट का उपयोग किया जाता है। 3 माह के बाद बच्चों को चार्ट के माध्यम से पशुओं, पक्षियों, फलों, सब्जियों तथा खाद्यान्नों की शिक्षा दी जाती है। बच्चों को महापुरुषों की जीवनी पढ़ाई जाती है, प्रेरक कहानियां सुनाई जाती है तथा राष्ट्रभक्ति के गीत भी सिखाए जाते हैं। एक दरी की व्यवस्था आश्रम की ओर से रहती है। शिक्षक लालटेन की व्यवस्था स्वयं करते हैं। एक रजिस्टर में सभी बच्चों के नाम, उम्र व उनके पिताजी का नाम लिखा जाता है। मां सरस्वती का एक चित्र भी होता है जिनके समक्ष प्रार्थना होती है एवं विद्या की याचना की जाती है। एकल विद्यालयों में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार सिंचन पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। बच्चों को स्वच्छता का महत्व बताते हुए स्वास्थ्य के सामान्य नियमों की जानकारी दी जाती है। विगत कुछ वर्षों में एकल विद्यालय का यह प्रकल्प ग्राम विकास का एक सशक्त माध्यम बना है। ग्रामीण विकास में कार्यकर्ताओं के साथ- साथ ग्रामीणों की सराहनीय सहभागिता हुई है। कह सकते हैं कि एकल विद्यालय के माध्यम से वनांचलों में शिक्षा का दीप निरंतर प्रज्वलित है।
उल्लेखनीय है कि गांव के ही दसवीं अथवा उससे ऊपर पढे हुए युवक-युवती को प्रशिक्षण देकर सामान्य मानधन देकर आचार्य/आचार्या का दायित्व दिया जाता है। एकल विद्यालय की संपूर्ण देखरेख एवं संचालन ग्राम समिति ही करती है।
Ekal Vidyalaya or One Teacher Schools as the name suggests are grassroot level informal schools run by Vanvasi Kalyan Ashram in the remotest of vanvasi villages. Run out of a single room and with the help of a single teacher they are usually situated in vanvasi villages where government aided Education facilities are absent. These schools provide an informal classroom atmosphere to the vanvasi kids and serve as their first step towards education. These children study here till they are eligible for admission to class-V of any formal school.