संस्कार
कल्याण आश्रम के सेवा कार्यो एवं संगठन कार्यों का उद्देश्य मात्र यश या पुण्य प्राप्ति नहीं है। हमारा उद्देश्य वनवासी समाज और वनवासी गांवों को खुशहाल और समृद्ध बनाना है।हमारे श्रद्धा जागरण, लोककला मंडल एवं खेलकूद प्रकल्पों के माध्यम से वनवासियों में संस्कार निर्माण का कार्य तेजी से हो रहा है। भूख, प्यास की परवाह किए बिना हमारे कार्यकर्ता प्रतिदिन वनवासियों की झोपड़ी में जाकर धर्म और संस्कारों की चर्चा करते हैं। इन प्रयासों का सकारात्मक परिणाम निकला। धर्म से दूर जा रहा वनवासी समाज संस्कारित और जागृत हुआ तथा धर्म कार्य करने को तैयार हुआ। गांव-गांव में साप्ताहिक सत्संग, लोक कला मंडल, खेलकूद केंद्र आदि के कार्यक्रम किए जाने से गांव का वातावरण शुद्ध एवं आनंदमय हो रहा है। संस्कार केंद्रों से व्यसन एवं अन्य सामाजिक कुरीतियों का निवारण भी हो रहा है। अब तक लाखों वनवासी शराब, तंबाकू, भांग, गांजा तथा मांसाहार जैसे व्यसन छोड़ चुके हैं। अप्रमाद, राष्ट्रभक्ति, प्रेम, आलस्य का अभाव आदि सद्गुणों का सहज ही विकास हो रहा है। शराब पीकर नाचने के बजाय आज वे भगवान का नाम लेकर नृत्य कर रहे हैं। उनके वन सचमुच बैकुंठ बन रहे हैं।