संगठन
वास्तव में संगठन कोई पृथक् आयाम नहीं है। वनवासी कल्याण आश्रम स्वयं ही एक संगठन है। इसलिए इसका अलग से उल्लेख करना आवश्यक है।
सन् 1977 मैं अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम नाम से संस्था का नवीन पंजीकरण हुआ। प्रधान कार्यालय जशपुर नगर तथा प्रशासनिक कार्यालय मुंबई निश्चित किया गया। सभी प्रांतों में संगठन मंत्रियों की नियुक्ति की गई जिनके प्रयास से 1 वर्ष के अंदर सभी प्रांतों में पृथक्-पृथक् नामों से प्रांतीय समितियों का शासकीय पंजीकरण हुआ। दक्षिण बंग का कार्य पूर्वांचल कल्याण आश्रम नाम से पंजीकृत हुआ जो दक्षिण बंग के वनवासी समाज के सर्वांगीण उन्नति के लिए संकल्पित है। सर्वांगीण उन्नति का अर्थ है वनवासी के जीवन से जुड़े हर पहलू के संदर्भ में उसे जागृत करना, आगे बढ़ाना, विकसित करना तथा उसका वैचारिक, मानसिक, आर्थिक व सामाजिक विकास करना।
विकसित व प्रभावी संगठन के बल पर शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार एवं ग्राम विकास के विभिन्न प्रकल्पों का संचालन, विभिन्न प्रसंगों पर विराट वनवासी सम्मेलन, वनवासी पर्व-त्यौहार एवं उत्सवों का आयोजन तथा आपात स्थितियों में सहयोग की व्यवस्था की जाती है।
संगठन के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार के क्रम में ग्राम समिति, ग्राम महिला समिति, प्रकल्प संचालन समिति, प्रखंड समिति, जिला समिति एवं प्रांत समिति का गठन होता गया। सभी समितियों की नियमित बैठकें होती है तथा उनमें परस्पर सामंजस्य, सहयोग एवं सहकार बना हुआ है। प्रांतीय समिति को अखिल भारतीय समिति के माध्यम से समय-समय पर समुचित मार्गदर्शन एवं सुझाव मिलते रहते हैं।