जनजातीय महिलाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक विकास के साथ आर्थिक विकास भी हो इस हेतु स्वयं सहायता समूहअथवा बचत गटों की महत्वपूर्ण भूमिका है। 10-20 रुपए जैसी साधारण राशि जमा करने के बहाने ग्रामीण महिलाएं एकजुट होती है और ग्राम विकास से लेकर ग्राम परिवर्तन के कई प्रकल्पों तक उनकी भागीदारी हो जाती है।
जहां-जहां स्वयं सहायता समूह की सक्रियता है हम ग्राम परिवर्तन का अनुभव कर सकते हैं। इन बचत गटों के कारण महिलाएं नियमित रूप से एकत्रित होने लगी है। ना केवल पैसा जमा करना किंतु साथ-साथ कहीं कुटीर उद्योग तो कहीं कृषि विकास के प्रयोग जैसे उपक्रम शुरू हुए हैं। कहीं सब्जी उगाना, तो कहीं मध्याह्न भोजन का ठेका लेने तक के विविध आर्थिक प्रयास होने लगे हैं। परिणामस्वरूप परिवार की आय बढ़ती है और गांव विकास स्वत: ही होने लगता है।
स्वयं सहायता समूह के कारण आर्थिक विकास तो हुआ ही साथ ही साथ सामूहिकता की भावना भी निर्मित होने लगी। गांव के सारे काम मिलकर करने का मन बना।
समाज की गलत परंपराओं को दूर करना, जाति प्रथा या छुआछूत के संदर्भ में सामाजिक परिवर्तन के प्रयास शुरू करना जैसे कई महत्वपूर्ण उपक्रम प्रारंभ होने लगे।
सामाजिक समरसता का भाव जागरण होने लगा।
यह कहने में सात्विक गौरव की अनुभूति होती है कि स्वयं सहायता समूह का सारा कार्य महिलाओं द्वारा ही संचालित होता है।
वनांचल में स्वयं सहायता समूह एक आंदोलन का स्वरूप प्राप्त कर चुके हैं।
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी बहने अपने आर्थिक विकास के साथ गांव में रास्ता तैयार करना बिजली की व्यवस्था, पानी की व्यवस्था, पोस्ट का डिब्बा लाना आदि विभिन्न कमियों को अपने संगठन के माध्यम से पूरा करने में यशस्वी हुई है।
जनजातीय महिलाओं का आत्म बल एवं आत्मविश्वास जागृत करने में ये स्वयं सहायता समूह अत्यंत कारगर सिद्ध हुए हैं।
Self-help groups and collective saving groups have played a very vital role in the financial growth along with the social and cultural development of the tribal women. By periodically saving a small sum like 10 to 20 rupees, the village women have come together and contributed in a big way in their village development and social change programs.
Wherever these self-help groups are active, we have seen a big change in such villages. The women have not only saved money but have also started projects that have led to a growth in micro cottage industries and agriculture. At places, the women have taken to projects like growing vegetables, taking up midday meal contracts etc. and that have helped in enhancing their income as well as village development.