कृषि प्रशिक्षण
आजादी के बाद रासायनिक खाद का बड़ी मात्रा में उपयोग होने से भूमि बंजर होती जा रही है। भारत की गो-आधारित कृषि परंपरा समाप्त होती जा रही है। कम्पोस्ट खाद की जगह रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवा का प्रयोग वृहद् पैमाने पर होने लगा है जो परावलम्बन का संकेत है। अतः परंपरागत खेती को बढ़ावा देना अति आवश्यक हो गया है।
कल्याण आश्रम का मानना है कि जब तक ग्रामीण किसान प्रशिक्षित नहीं होता, उनको तकनीकी-वैज्ञानिक ज्ञान नहीं मिलता, कृषि-कार्य से उनकी आय वृद्धि नहीं होती तब तक कृषि या ग्राम विकास सपना ही रह जाएगा। कृषि प्रशिक्षण के अंतर्गत गोबर-खाद, केंचुआ-खाद और जैविक खाद का प्रयोग एवं महत्व ग्राम वासियों को बताया जाता है। गाय का गोबर और मूत्र उपयोग करके बनाए जाने वाले अमृत पानी और कीट नियंत्रक की भी कृषि के विकास में उपयोगिता है-इसका प्रशिक्षण भी वनवासियों को दिया जाता है।
कल्याण आश्रम के प्रयासों से वनवासी महिलाएं एवं युवक जैविक खेती के प्रति रुचि लेने लगे हैं तथा गांव में जैविक खाद उत्पादन का कार्य प्रारंभ हो गया है।
सारांशत: कृषि प्रशिक्षण के बहुविध पहलू हैं यथा-कृषि का आधुनिकीकरण आधारित विकास, जल संग्रहण व खेतों की सिंचाई तथा पेयजल हेतु प्रबंधन, गौ संवर्धन व पशुपालन, वन संवर्धन तथा वनौषधि जड़ी बूटी संग्रहण व उपयोग, कृषि आधारित उद्योग, समुचित तंत्रज्ञान, जैविक ईंधन व जैविक खाद तथा कुशल प्रबंधन, सब्जी उत्पादन, फलोद्यान आदि। उपर्युक्त सभी पहलुओं और बिंदुओं पर कमोबेश रूप से ग्रामवासियों को मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण दिया जाता है।
Agriculture Development
After independence, is it being noticed that agricultural land is becoming barren due to use of chemical fertilizers in large quantities and India’s cow-based farming tradition is gradually losing popularity. Instead of traditional compost manure, chemical fertilizers and insecticides are being used on a large scale, which is not a long-term sustainable practice. Therefore, it has become imperative to promote our traditional farming practices.
Purvanchal Kalyan Ashram believes that unless rural farmers are not trained properly, they do not get technical-scientific knowledge and agriculture or village development will remain a dream. Under the program of agricultural training, the use and importance of cow dung-manure, earthworm-manure and organic manure is taught to the villagers. Training is also given on how to prepare manure and control pests using cow dung and urine which is useful in the development of agriculture.
Due to the efforts of Purvanchal Kalyan Ashram, vanvasi women and youth have started taking interest in organic farming and have begun producing organic manure in their own villages.
Apart from above mentioned aspects, many other critical areas of agricultural training are also taught. These are water harvesting, management for drinking water, cow culture and animal husbandry, forest promotion and forest medicine, herb collection and use, agro-based industry, proper technology, bio-fuel and organic manure, vegetable growing, orchards etc. The vanvasi villagers are given guidance and training on most of the above areas.