छात्रावास
कल्याण आश्रम का शुभारंभ ही छात्रावास से हुआ है। सन् 1952 में जशपुर नगर में 13 वनवासी बालकों के छात्रावास से कार्य प्रारंभ हुआ।
उद्देश्य
हम भारतमाता के पुत्र और भारतीय समाज के अभिन्न अंग है ऐसी जिनकी दृढ़ निष्ठा हो; ऐसे बुद्धिमान, बलसंपन्न संस्कारसंपन्न युवक-युवतियां खड़े करने के उद्देश्य से कल्याण आश्रम का छात्रावास प्रकल्प प्रारंभ किया गया। इस प्रकल्प के पीछे का मुख्य भाव यह रहा कि जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास के लिए बड़ी संख्या में जनजातीय युवक युवतियां सक्रिय रुप से अपनी सहभागिता करें। इसलिए किसी मध्यवर्ती ग्राम या नगर में में जहां १०वीं-१२वीं तक शिक्षा हेतु अच्छे विद्यालय हैं; वहां छात्रावास प्रारंभ किए जा रहे हैं। आसपास के ग्रामों से पांचवी कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को छात्रावास में रखकर उनकी उचित व्यवस्था की जाती है। छात्रों का चयन करते समय दूरस्थ अंचल के छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है जहां आवागमन का कोई साधन नहीं है।